2 दिस॰ 2008

सुखद आश्चर्य

सुखद आश्चर्य, दोस्तों कुछ लोंगों ने मेरे लिखये हुवे पर कमेंट्स भेजे कुछ ने फ़ोन पर मुझे ब्लॉग के लिए बाध्यई दी --- जो भी बहुत अच्छा लगा। आपका ऐसी ही सहयोग मिलता रहा तो दीपक बाबा बकबक कम करेगा हो लिखेगा ज्यादा। अगर दिल को लग जाए तो माफ़ करना -- दिमाग में घुस जाये तो बहार निकल फेंकना - दिल को तसली देना की दीपक है कुछ भी लिख देता है - बाकी दिमाग की बात तो दिमाग बेकार की बाअतों में कभी नहीं लगता। मित्रों -- हालत बाद से बदतर हो गए है - आब तो राम जी भी दुबारा राज पर आ जाए तोभी शयद हालत सुधरे।

समुंदर से - पहाड़ से जमीन से - हम तो कहीं से भी सुरक्षित नहीं है - और ये नेताहराम का माल पचा कर मौज कर रहे है। बस अपनी जेब भार रहे है। सोचो कोई एसा है जो हमारे बारे मैं, देश के बारे में सोच रहा हो - सोचो - केसे ये लोग वोट लेते है और कैसे ये मिनिस्टर बन जाते है सोचो। दोस्तों दिल मैं बहुत बड़ा गुबार है - शब्द ही नहीं मिलते - क्या लिखे - पर आपका धन्यवाद की आपने बाबा की बक बक सुनी ... जय राम जी की - मेरी प्रिये शिष्या यानि श्रीमती का फ़ोन आ रहा है फिर कल - ---

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

बक बक को समय देने के लिए आभार.
मार्गदर्शन और उत्साह बनाने के लिए टिप्पणी बॉक्स हाज़िर है.