29 जून 2011

चव्वनी छापों की औकात

जय राम जी की.

८ जून के बाद आज फिर कुछ समय निकाला है  - जज्बातों को समेटने के लिए.. क्या करें... परसों (१ जुलाई) से चव्वनी इतिहास हो जायेगी ... सोचा कुछ याद कर लिया जाए. मेरे मानका में कहावत है की "जाट तब मरे जब उसका तेहरवा हो जाए" ...  चव्वनी  को क्या मालूम  की  वो तो मर चुकी है .. और इंतज़ार हो रहा है तेहरवें का .. यानि की आधिकारिक रूप से एक एलान का..

याद कीजिए अंतिम समय में कब चव्वनी का उपयोग किया था, कौन सा वो महान दुकानदार या कोई और विक्रेता था जिसने आपको वापिस चव्वनी दी थी या फिर आपसे ली थी....... मुझे याद आ रहा है, शायद 5-6 साल पुरानी वो बात है की एक पानी वाले ने एक अट्ठन्नी और २ चव्वनी वापिस दी थी, मेरे दो रुपे के बदले में ... खरीदारी हुई थी २ गिलास पानी की.

एक जमाने में चव्वनीछाप लोगों पर रश्क होता था, भले ही वो आज बनियान और पजामा पहिन कर बाप की किराने की दूकान संभाल रहे हों..... कक्षा पांच में वो भाई घर से चव्वनी लाया था, शायद माँ ने चुपके से दी थी, और उसे वो राज़ मुझे बताया था, की आज उसकी जेब में चव्वनी है, आधी छुट्टी में आँखों ही आँखों में इशारा हुआ था - और हम जा पहुंचे थे ... बगल की एक दूकान पर, बंटे (कंचे वाली सोडा वाटर) की बोतल ली थी उसने और मैं निक्कर की जेब में अपने पांच पैसे (पंजी) को संभालता हुआ उसकी निगरानी कर रहा था ताकि कोई और सहपाठी देख न ले .. पोल न खुल जाए...

चव्वनी बंद हो रही रही, चव्वनी छापों की औकात क्या, जाते जाते दहाड़ रहे है, की १००(निया) रुपे का आशीर्वाद प्राप्त है....... और १ रुपे( .\/. ) के लिए जगह छोड़ने के लिए तैयार हूँ, जब भी ऊपर से आदेश होगा........ बेशक आज चलन में नहीं हूँ पर रिज़र्व बैंक का  आशीष पूरा है, कोई नर/नारी या बालक मना नहीं कर सकता.... जाते जाते गुर्रा रहे है, बाकि अट्ठन्नी और रुपे के सिक्कों पर, उनको भी आँखे दिखाई जा रही है औकात दिखाने की कोशिश जारी है, 

हाँ, वो ८ साल का बच्चा भी मुस्कुरा कर कह रहा है,  काहे परेशान हो रहे हो, मैंने तो देखी भी नहीं आपकी ये चव्वनी - मैंने भी जवाब दिया, बेटा ठीक कह रहे हो, १० साल बाद पूंछेंगे, जब चव्वनी छापों पर ठप्पा लगा कर सर पकड़ कर रोया करोगे....

जय राम जी की

5 जून 2011

बाबा, संभाल अपनी लंगोटी और लौटा ...

बाबा बहुत बोले है तू....... बहुत बोले है...... तने बैरा नहीं ठाकुर(आइन) को किसी भगवाधारी की ऊँची आवाज पसंद नहीं है ......... और तू है की बक बक (इसके अलावा और क्या है) किये जा रहा है....

ले गए न उठा कर .... संभाल अपनी लंगोटी और लौटा ...  

अन्ना हजारे खामोश थे, मोमबती जलाने वाले (शहरी तबका) साथ थे, .... सरकार को कोई प्रोब नहीं थी, अलबत्ता मोमबती बनाने वाले उद्योगपतियों को बुला कर बैठक जरूर कर ली थी, :) भैया माल बहुत बिकवा देंगे, बस हमारी कमीशन का ध्यान रखना, पिज्जा खाने वालों से कोई खतरा नहीं, आयें है पिकनिक मना कर चले जायेंगे;  और तू गाँव दिहातियों को इक्कट्ठा कर लाया है... जिनका खून १००% है .... जरा सी भावना में बहे  नहीं और खून खौल गया ; अपना पैसा खर्च कर के आये थे, न सोने का ठिकाना न खाने का - पिकनिक मनाने  नहीं .... 

अरे बाबा गाँव की तो ये (सरकार) दुश्मन पहले ही बनी बैठी है.... छि छि छि -- कितने गंदे होते है गाँव वाले - दोपहर को नहाते हैं - सुबह खुले में निर्वुत होने जाते है - कई बार तो पानी का लौटा भी साथ नहीं ले जाते; भोले के बाराती लगते हैं; ... और तू उनको साथ ले चल रहा है ... भाई इन लोगों की जमीन पर ही तो सरकार की नज़र है .. जैसे सांप अच्छा नहीं लगता ... पर उसकी मणि अच्छी लगती है है.... हाथीदांत के लिए हाथियों का वध और कस्तूरी के लिए मृग का वध किया जाता है ........ तो फिर ये दिहाती किसान अपवाद थोड़े ही हैं........  

अच्छा हुआ - कोई कमेटी नहीं बनी.... ठीक ही हुआ ....और ये भांड बक्से (टीवी ख़बरें) फिर से चिल्लाते रहते ... तेरा तो कुछ नहीं होना था .... पर बाबा उनकी सोच जो तेरे साथ हैं, कोई न कोई  CD  काण्ड में और उलझ जाता .... शशि भूषण की तरह...

जा बाबा जा ..... भगवा कपडे उतार कर - सफ़ेद कपडे पहन - शान्ति वाले (?) धीरेन्द्र ब्रहमचारी को अपना IDOL बना और सरकार में मौज कर .... जीवन क्षण भंगुर है.... काला धन - भ्रष्टाचार बस भावनायों का आचार है - इन पर काबू रख .... पेट चिपका कर घूम रहा है खा पी ऐश कर ....... मंत्री लोगों को सुबह बंद ठन्डे कमरों में योग सिखा ......... अपनी दवा की फेक्टरी बंद कर ... लोगो को उनके बी पी, कोलेस्ट्रोल के हाल पर छोड़ दे;  और 'राजगुरु योगाचार्य' की पदवी प्राप्त कर ऐश कर इस लोक को ही नहीं अपितु परलोक भी सुधार ..... 

'सकल पर्दार्थ इ जब माहि - कर्म हीन पावत नाहीं' - सरकारी कर्मयोगी (चमचा) बन और सभी उत्तम प्रकार के पदार्थों का भोग लगा ;) 

बाबा बातें कडवी तो जरूर लगेगीं - पर तेरे भले के लिए हैं ... जगत का कल्याण छोड़ - अपने कल्याण की सोच...

जय राम जी की
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स्पष्टीकरण १ : ये पोस्ट सुबह दैनिक जागरण की हेड लाईन देखने (पढ़ने तक की फुर्सत नहीं थी) के  तुरंत बाद लिखी गयी थी.... और जाहिर है की निम्न लिंक दोपहर १२ बजे के हैं और हाँ ये स्पष्टीकरण रात ९.०० लगा रहा हूँ.
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ठग हैं रामदेव, उनकी गतिविधियों की जाच हो - दिग्विजय सिंह

Jun 05, 10:07 am

नई दिल्ली। रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई को जायज ठहराते हुए काग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने
बाबा रामदेव को 'ठग' बताया और कहा कि उनके साथ वही हुआ जो एक ठग के साथ होना चाहिए।
हिन्दुस्तान की जनता चाहती है की आपके डी एन ए
के जांच हो........ 

रामदेव की वादाखिलाफी के चलते हुई कार्रवाई : कपिल सिब्बल

Jun 05, 11:20 am

नई दिल्ली। सरकार ने बाबा रामदेव के अनशन को खत्म करने की पुलिस कार्रवाई को जायज ठहराते हुए
रविवार को कहा कि योगगुरु ने रामलीला मैदान में आयोजन करने की अनुमति लिए जाने के दौरान किया
वादा तोड़ा और यहा तक कि वह अपने आश्वासनों से भी पलट गए।
जनता चाहती है की सरकार की वादाखिलाफी पर
कौन सी कार्यवाई होगी ???

Jun 05, 11:20 am

नई दिल्ली। रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई और बाबा रामदेव की
गिरफ्तारी
के बाद उनके समर्थकों की ओर से विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू
करने के किसी भी प्रयास को रोकने के उद्देश्य से दिल्ली पुलिस ने रविवार
को प्रदेश के नई दिल्ली जिले में निषेधाज्ञा लगा दी जहा इस तरह के किसी
प्रदर्शन की आशका थी।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने नई दिल्ली 
जिले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लगा दिया है।
याद कीजिए - अंतिम बार ये शब्द कब सुने थे - निषेधाज्ञा 
सरकार की मंशा समझ आएगी - पर धीरे धीरे

स्पष्टीकरण 2: रात्री १०.३० बजे से टीवी देख रहा हूँ ; और रोना आ रहा है अपनी
नपुंसकता पर........  उफ़.... रामजी  क्या सदा सत्ता ऐसे ही हाथों में रहेगी
जो इसका दुरपयोग करना जानते हों.......... आज सुबह ही
रामचरितमानस पढ़ रहा था :
धरनि धरहि मन धीर कह बिरंचि हरिपद सुमिरु।
जानत जन की पीर प्रभु भंजिहि दारुन बिपति।।


सोमवार, रात्री १० बजे : 
सुनील कुमार शर्मा मुझे गर्व है तुम्हारे पर........... 
राजस्थान का १००% खून  है ....

3 जून 2011

तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है यार... बाबा राम देव

जिस देश ने देवगौड़ा, आई के गुजराल, नरसिम्हा राव और डॉ मनमोहन सिंह जैसे प्रधान मंत्री देखें हो ...... समझ नहीं उनको बाबा रामदेव के प्रधान मंत्री बनाने से क्यों परहेज़ है. तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है यार... 

भगवा कपडे देख कर भड़क क्यों जाते हो... अच्छा भला व्यक्ति भी, बाई चांस संतरी रंग कपडे पहन कर चल पड़े तो तुम्हारी भोवें क्यों तन जाती है हैं.... क्यों मन ही मन सोचते हो की काश मजेंटा रंग १००% होता तो लाल (१००% मजेंटा और १००% पीला मिल कर लाल बनता है प्रिंटिंग उद्योग में) हो जाता - लाल रंग अच्छा लगता है   पर ये तो भगवा है.... अपना घर फूंकने वालों का रंग.. आप तो भूल गए होंगे न सब, क्योंकि भगवा और बाबा को  दोनों को आज मक्कारी और चरित्रहीनता दोनों में बदनाम कर रखा है.

एक राजा तो पड़ोस में अंदर हैं, दुसरे बाहर आज़ाद, अब आज़ाद हैं तो बोलेंगे भी सही, तो सुनो :  बाबा के पीछे आर एस एस है,  .... राजा जी, आपको तो भारत वर्ष में हर घटना के पीछे आर एस एस का हाथ नज़र आता है. और देश में तो यह बात आम हो गई है - हर घटना के पीछे आर एस एस को जिम्मेवार ठहरा दो और अपनी जिम्मेवारी से मुक्ति पाओ, एक चुटकी : बच्चे आजकल पढ़ाई ढंग से नहीं करते.... पता करो, शाखा पर तो नहीं जाने लग गये,   सुनो जी, हमारी पड़ोस में सलमा बेगम ने २ जोड़ी जुड़वाँ बच्चों (४ बच्चों) को जन्म दिया है ..... अच्छा - पता करो - शाखा वाले शर्मा जी का हाथ तो नहीं..... :) हाँ जी, पिछले २-४ वर्षों से देश ऐसा ही कुछ सुन रहा है. 

ऐसा नहीं की और मंत्री नहीं है, हैं भाई : उनकी भी सुनो : कपिल सिब्बल जी कह रहे है : ऐसे मसले एक दिन में हल नहीं होते .............. भाई सालों से तो आप की पार्टी शासन में है - अब आप ही पूछ कर बता दो - कितने वर्षों में हल होंगे - माई बाप  - हम तो हर हाल में राजी हैं. इस सरकार में मंत्री से संतरी तक - सभी परेशान है : किसी ने कोलकत्ता की तो किसी ने मेंगलोर तक की यात्रा स्थगित की है. बाबा को मनाया जा रहा है : धमकाया तो बहुत, दवाइयों में से हड्डियाँ निकली .... कभी लेबर परेशान हो गई - बाबा फेक्टरी में कम पैसे देते हैं, कभी बोला गया की बाबा के पास साइकल के पंचर के पैसे नहीं थी - और अब इतने करोड़ की रकम कहाँ से आ गयी...... पर बाबा अपनी चाल में है - ठेठ हरियाणा की दिहाती चाल ... भाई तो मने रास्ता बता दे  - यार के घर पहुँचने का - और पगड़ी सर पर बाँध - हाथ में लट्ठ   ले चल पड़े तो रस्ते ही पनाह मांगेगे.... जादू है हाँ न ... दूध दही और गेंहू की रोटी....... बाबा तैयार है..

कई लाख किलोमीटर की यात्रा कर चूका है .... देश की नब्ज़ को पकड़ लिया है - और उस दर्द को पहचाना है  ... भूखे पेट को पहचाना है... रासायनिक खादों और इंजेक्शनो द्वारा पेट भरने वाले गरीब के इलाज़ के सस्ते विकल्प हाथ में है.... चाहे काला  धन हो या भरष्टाचार, महंगी रासायनिक खेती के आगे - जैविक खेती की बात हो, महंगे अंग्रेजी दवाओं के आगे  - देसी सस्ती दवाइयां हो..... इस लंगोटधारी  के पास हर मर्ज़ की दवा है... और इसको सिद्ध भी कर रहा है जब १ करोड़ लोगों का विश्वास इस देश में नज़र आ रहा है.  

है कोई ... नेता जो छाती ठोक  कर कह सके ... उपर तीन प्रधानमंत्रियों का नाम लिया है ... उनमे से कोई एक हो... नहीं ... बाबा हैं - भगवा पहन रखा है... वही भगवा ... जो इस पुण्य भूमि को जोड़ने का संकल्प है - त्याग है तपस्या है ....

माफ़ी चाहता हूँ,  श्रीमान प्रधानमंत्री जी, आने वाले कई दिनों में आप सो नहीं पाओगे और मैं आपकी अच्छी नींद और १०% विकासदर के हसीं सपनो के लिए प्राथना भी नहीं कर पायूँगा.... क्योंकि जब से धरती पुत्रों के (किसानो के) हाथों में हल आपको अच्छे नहीं लगने लगे - छीन लिए गए  ... मेरे हाथ भी प्राथना के लिए अब नहीं उठते... क्या करें.. 

राष्ट्र पिता को देखा, बच्चों के चाचा को भी, लोह महिला भी देखी, विनर्म किसान आये, शेरोशायरी करता फ्रेंच दाड़ी वाला भी, कवि चिरकुमार से लेकर कठपुतली अर्थशास्त्री तक ... सभी को तो देखा आपने ... पर कोई बाबा नहीं आया.... आज आया है - ललकार के साथ - हाथ में कमंडल नहीं है - भिक्षाम देहि - ललकार है - क्रांति की ... वन्देमातरम का गान है ...... क्या आनंद मठ की याद ताज़ा नहीं होती ........ - वो दर्द दिल में पनपता ... वन्दे~~~~~~~~~मा~~त~र~म...  ... वन्देमातरम... 

सबसे ऊपर धर्म दंड ... मित्रों ये बाबा गलत नहीं करेगा.... बंद कमरों में चलने दो बैठके... पीने दो बिसलरी पानी की बोतले... पर धरती के नीर पीने वाले, खुले आसमान के नीचे से ललकारने वाले .... माटी के लाल की सुनो  ... अगर सुबह सूर्यनमस्कार किया हो तो धरती माँ के सीने की हलचल सुनी होगी - सुनो --- इस बाबा की सुनो... माँ की पुकार है...


जय राम जी की...